Anant Singh Attack :बिहार के मोकामा में सोनू-मोनू के साथ गैंगवार के बाद अनंत सिंह की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। एक तरफ पुलिस ने छोटे सरकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है, वहीं दूसरी तरफ सिंह स्थानीय राजनीति में भी बुरी तरह फंस गए हैं। वो भी ऐसे समय में जब बिहार में 8 महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। मोकामा से चार बार विधायक रह चुके अनंत सिंह फिर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। फिलहाल उनकी पत्नी नीलम देवी इस सीट से विधायक हैं।
मुंगेर जिले की मोकामा विधानसभा सीट 1990 से ही सुर्खियों में रही है। अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह भी इसी सीट से विधायक रह चुके हैं। अनंत सिंह को मोकामा की राजनीति अपने बड़े भाई से विरासत में मिली है। फरवरी 2005 के चुनाव में अनंत सिंह इस सीट से जीतकर पहली बार सदन पहुंचे थे। इस साल अक्टूबर में हुए चुनाव में भी सिंह ने जीत दर्ज की। तब से इस सीट पर अनंत सिंह का कब्जा है। 2022 में अनंत सिंह को दोषी करार दिया गया, जिसके बाद यहां विधानसभा चुनाव हुए। सिंह ने अपनी जगह अपनी पत्नी को मैदान में उतारा। सिंह की पत्नी नीलम देवी इस सीट पर जीत दर्ज करने में कामयाब रहीं। पिछले साल जिस मामले में उन्हें दोषी ठहराया गया था, उसमें सिंह बरी हो गए। ऐसे में अब वह खुद चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। सिंह नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
मोकामा में गैंगवार के बाद मीडिया से बात करते हुए अनंत सिंह ने कहा है कि मोकामा पुलिस सोनू-मोनू से मिली हुई है। पुलिस उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। सोनू-मोनू पहली बार 2009 में चर्चा में आए थे। 2018 में सोनू-मोनू ने अनंत सिंह की हत्या की सुपारी भी ली थी।
हालांकि, पिछले कुछ सालों से दोनों के बीच शांति और समझदारी थी, लेकिन अब जिस तरह से सोनू-मोनू गैंग ने अनंत के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया है, उससे सवाल उठ रहा है कि अनंत के खिलाफ कौन खेल रहा है।
अनंत सिंह फिलहाल सरकार का हिस्सा हैं। स्थानीय सांसद ललन सिंह से भी अनंत सिंह के अच्छे संबंध हैं। ललन को जेडीयू में नंबर-2 नेता माना जाता है। वे केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं।
सोनू-मोनू के साथ गैंगवार के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या इस हमले के जरिए अनंत सिंह के खिलाफ कोई मोर्चा बनाया जा रहा है। दरअसल, मोकामा सीट से जहां से अनंत सिंह चुनाव लड़ते हैं, वहां दो बाहुबली अशोक सम्राट और सूरजभान सिंह पहले से ही अनंत के विरोधी हैं।
अनंत ने सूरजभान से मोकामा सीट छीनी थी। दोनों के बीच की दुश्मनी भी बिहार में जगजाहिर है। सूरजभान फिर से मोकामा की राजनीति में सक्रिय हैं। वहीं, लोकसभा चुनाव में मदद न करने को लेकर अनंत सिंह भी अशोक सम्राट के रडार पर हैं। अशोक की पत्नी 2024 में मुंगेर लोकसभा से उम्मीदवार थीं।
दूसरी ओर, सोनू-मोनू से झगड़े के बाद अनंत सुर्खियों में हैं। वे स्थानीय राजनीति में भी काफी सक्रिय हैं। सोनू-मोनू की बहन नेहा नौरंगा गांव की मुखिया रह चुकी हैं। सोनू-मोनू की मां और पिता भी गांव की राजनीति में सक्रिय हैं। नौरंगा और जलालपुर के आसपास के कई गांवों में सोनू-मोनू का दबदबा है। यानी स्थानीय स्तर पर भी सोनू-मोनू काफी सक्रिय हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि क्या सोनू-मोनू के जरिए मोकामा में अनंत सिंह के खिलाफ मजबूत मोर्चा बनाया गया है?
बता दें कि लोकसभा चुनाव में अनंत सिंह के समर्थन के बावजूद मोकामा में जेडीयू के ललन सिंह पिछड़ गए। मोकामा सीट पर जेडीयू के ललन सिंह को 68484 वोट मिले, जबकि अशोक सम्राट की पत्नी को 69563 वोट मिले।
भूमिहार बहुल मोकामा में अनंत सिंह का राजनीतिक दबदबा कम होता जा रहा है. 2020 के विधानसभा चुनाव में अनंत सिंह 35 हजार वोटों से जीते थे, जो 2022 के उपचुनाव में 16 हजार तक पहुंच गया। 2024 के लोकसभा चुनाव में अनंत के समर्थित उम्मीदवार यहां से दूसरे नंबर पर रहे। मोकामा में भूमिहार के बाद कोइरी, निषाद और दलित जातियों का दबदबा है। यहां कोइरी करीब 14 फीसदी और दलित करीब 16 फीसदी हैं।
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