समस्तीपुर में एक अज्ञात शव की पहचान होने के बाद शव लेने पहुंचे स्वजनों से पोस्टमार्टम कर्मी के द्वारा पचास हजार रुपये मांगने का आरोप पूरी तरह बेबुनियाद है। प्रशासन ने शव की शिनाख्त होने पर उसे घर तक पहुंचाया है। उक्त बातें प्रभारी जिलाधिकारी सह अपर समाहर्ता विनय कुमार राय ने कही। वे बुधवार की संध्या अपने कक्ष में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे।
प्रभारी डीएम ने बताया कि 6 जून को मुसरीघरारी थाना ने एक अज्ञात शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल लाया। उस शव को पोस्टमार्टम करने के बाद पहचाने के लिए सुरक्षित रखा गया था। इसी क्रम में 7 जून को कुछ व्यक्ति आए और पोस्टमार्टम कर्मी से कहा कि शव उसके परिवार का है दीजिए। इस पर पोस्टमार्टम कर्मी ने कहा कि पचास हजार रुपये दीजिए तब भी आपको शव नहीं देंगे। पुलिस यह शव लायी थी, वही शव दे सकती है। इसलिए यह आरोप लगाना पूरी तरह बेबुनियाद है कि शव देने के एवज में पोस्टमार्टम कर्मी ने पचास हजार की मांग की है।
इंटरनेट मीडिया पर इस तरह के वीडियो वायरल होने के बाद उन्होंने खुद ही सदर अस्पताल जाकर इसकी जांच की। सिविल सर्जन भी उनके साथ थे। पोस्टमार्टम कर्मी से भी पूछताछ की। पोस्टमार्टम कर्मी वेतनभोगी स्टॉफ है। प्रथम ²ष्टया यह आरोप निराधार है। बावजूद उन्होंने सिविल सर्जन से कहा है कि इसकी पूरी गहराई से जांच कराएं।
स्वजनों के द्वारा शव को दाह संस्कार के लिए ले जाने के लिए भिक्षाटन करने की बात पर अपर समाहर्ता ने कहा कि शव को सदर अस्पताल से थाना भेजा गया। वहां से मृतक के घर तक पहुंचाया गया है। यदि दाह संस्कार के लिए स्वजन के पास पैसे नहीं थे तो सदर अस्पताल के उपाधीक्षक, सिविल सर्जन, डीपीएम, या फिर उनसे मिलकर कहते। सरकार के पास बहुत सारे फंड हैं, जिससे इस तरह के केस में मदद की जाती है। मौके पर सिविल सर्जन डॉ एसके चौधरी एवं जिला जनसंपर्क पदाधिकारी ऋषव राज भी मौजूद थे।
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