पैक्स चुनाव का महत्व किसानों और स्थानीय लाभार्थियों के लिए बहुत अधिक होता है, क्योंकि इससे सहकारी समितियों का सुचारु संचालन सुनिश्चित होता है। लेकिन समस्तीपुर जिले के पूसा प्रखंड की मोरसंड और हरपुर महमदा पंचायतों के लोग इस सुविधा से एक बार फिर वंचित रह गए हैं। पिछले दस वर्षों से यहां पैक्स चुनाव नहीं हो पाया है, जिससे किसानों को कर्ज और अन्य लाभकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
पूसा प्रखंड के मोरसंड और हरपुर महमदा पंचायतों में पैक्स चुनाव की समस्या का मुख्य कारण सोसायटी अकाउंट में धन की कमी बताया जा रहा है। बीसीओ के अनुसार, महमदा पंचायत में अकाउंट के डिफॉल्ट स्थिति में होने के कारण इसे इनऑपरेटिव घोषित कर दिया गया है, जिसके चलते किसी प्रकार की वित्तीय गतिविधि संभव नहीं हो पाती। इस स्थिति के कारण किसानों और अन्य लाभार्थियों को पैक्स के माध्यम से मिलने वाली सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
इसके अतिरिक्त, मोरसंड पंचायत में चुनाव कराने के लिए 15,000 रुपये और हरपुर महमदा पंचायत में 10,000 रुपये का निर्वाचन शुल्क सदस्य के रूप में जमा करना अनिवार्य था। हालांकि, अनेक प्रयासों के बाद भी कोई सदस्य आगे नहीं आया। 2014 से अब तक, इन पंचायतों में किसी प्रकार का चुनाव नहीं हो सका है, जबकि अन्य सात पंचायतों में पैक्स का चुनाव 2026 में संभावित है, जिससे वहां के किसान और लाभार्थी इसका लाभ उठा सकते हैं।
इस समस्या के बारे में बीसीओ ने बताया कि चुनाव न होने के कारण पंचायत में पैक्स की सेवाएं बाधित हैं, जिससे स्थानीय किसानों को समय पर कर्ज, खाद, बीज और अन्य कृषि सुविधाएं नहीं मिल पातीं। यह स्थिति न केवल पंचायत के किसानों के लिए आर्थिक रूप से नुकसानदायक है, बल्कि सहकारी समितियों के उद्देश्यों पर भी सवाल खड़े करती है।
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