समस्तीपुर में बिहार चिकित्सा एवं जनस्वास्थ्य कर्मचारी संघ के बैनर तले सोमवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शिवाजीनगर में स्वास्थ्य कर्मियों ने कार्य बहिष्कार किया। इस दौरान कर्मचारियों ने 10 सूत्री मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने बताया कि उनकी मुख्य मांगों में समान काम के लिए समान वेतन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संविदा पर कार्यरत सभी कर्मियों को बिना शर्त शासकीय दर्जा देना, स्मार्टफोन से एफआरएएस के माध्यम से हाजिरी बनाने के आदेश को रद्द करना, अप्रैल माह से लंबित मानदेय का शीघ्र भुगतान करना, प्रत्येक प्रसूति की अंतिम तिथि को मानदेय का भुगतान सुनिश्चित करना, स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर अस्थायी भवन, आवासीय सुविधा, शौचालय, स्वच्छ पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना और सभी संविदा कर्मियों को न्यूनतम वैधानिक मजदूरी देना शामिल हैं।
स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि अपनी मांगों के समर्थन में लोकतांत्रिक एवं चरणबद्ध आंदोलन करने का निर्णय लिया गया है। हालांकि, राज्य स्वास्थ्य समिति ने इन समस्याओं पर विचार करने के बजाय दमनकारी रवैया अपनाया है। स्वास्थ्य प्रबंधक अमानुल्लाह, जगन्नाथ यादव, मोहम्मद अनुल हक, स्टाफ नर्स सुमन कुमारी, सुनील कुल्हारी, सीएचओ अंजनी शर्मा, एएनएम नीलम कुमारी, शोभा कुमारी, गायत्री कुमारी, किरण कुमारी, खुशबू कुमारी, और एसटीएस सचिन कुमार ने कहा कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं तो संघ चरणबद्ध आंदोलन करेगा और अपने हक की लड़ाई लड़ेगा। जब तक समाधान नहीं होता, तब तक कोई काम नहीं होगा।
कर्मियों ने बताया कि अप्रैल 2024 से वेतन लंबित होने के कारण उन्हें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए शीघ्र ही बकाए का भुगतान किया जाना चाहिए। एनएचएम कर्मियों ने एफआरएएस सिस्टम को बंद करने की मांग की क्योंकि जिले के किसी भी क्षेत्र में शाम 5 बजे तक इस व्यवस्था के तहत हाजिरी बनाना संभव नहीं है। ठंड के मौसम में 5 बजे अंधेरा हो जाता है और बरसात के मौसम में कई सीएचसी डूब जाते हैं। ऐसे में सरकार का यह निर्णय दमनकारी है।