बिहार में शिक्षा व्यवस्था को लेकर उठते सवालों के बीच समस्तीपुर जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने सरकारी स्कूलों की हकीकत उजागर कर दी है। यहां एक सरकारी स्कूल में प्रधानाध्यापक ने बच्चों को केवल इस वजह से घर भेज दिया कि बैठने की जगह नहीं है — जबकि स्कूल में कई कमरे खाली पाए गए।
वारिसनगर प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय रायपुर में सोमवार को बच्चों को बिना पढ़ाई के घर भेजने का मामला सामने आया। नई गर्मी की टाइम टेबल के अनुसार स्कूल सुबह 6:30 से दोपहर 12:30 बजे तक चलना था। सुबह की प्रार्थना के बाद जब सातवीं कक्षा के छात्र पहुंचे, तो शिक्षिका अस्मिता ने उन्हें अस्थायी रूप से बरामदे में बैठाया।
इसके बाद प्रधानाध्यापक दिलीप कुमार ने कक्षा में “ज्यादा भीड़” का हवाला देकर छात्रों को स्कूल से वापस भेज दिया। यह स्थिति उस समय गंभीर हो गई जब शिक्षा समिति के सदस्य टुनटुन कुमार राय ने रास्ते में स्कूली बच्चों को घूमते देखा और मामले की जांच की। जांच के दौरान उन्होंने पाया कि स्कूल के कई कमरे खाली पड़े हुए थे और बैठने की कोई समस्या नहीं थी।
विद्यालय में लगभग 600 विद्यार्थियों का नामांकन है, जिनमें से उस दिन 300 छात्र उपस्थित थे। स्कूल में सभी कक्षाओं के लिए अलग-अलग कमरे उपलब्ध हैं। 14 शिक्षकों में से 5 उस दिन अनुपस्थित थे, लेकिन प्रधानाध्यापक ने छुट्टी दिए जाने से इनकार किया।
इस घटनाक्रम की जानकारी मिलते ही प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी विमल झा ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि “अगर बच्चों को जानबूझकर पढ़ाई से वंचित किया गया है, तो जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई होगी।”
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