समस्तीपुर फैमिली कोर्ट से एक ऐसा फैसला सामने आया है जो कानूनी जिम्मेदारियों को नजरअंदाज करने वालों के लिए एक बड़ा सबक बन सकता है। एक अधिवक्ता को खुद उस कानून की अवहेलना के चलते जेल जाना पड़ा, जिसकी पैरवी वे दूसरों के लिए करते थे।
समस्तीपुर फैमिली कोर्ट के विशेष न्यायाधीश संजय अग्रवाल ने अधिवक्ता मनीष कुमार को एक महीने की सजा सुनाई है। वजह है – पत्नी प्रीति राज को अदालत के आदेश के बावजूद गुजारा भत्ता नहीं देना। कोर्ट ने 2016 में आदेश दिया था कि मनीष अपनी पत्नी और बेटी के भरण-पोषण के लिए हर महीने 6,000 रुपये देंगे, लेकिन उन्होंने लगातार इस आदेश की अनदेखी की।
इस आदेश की अवहेलना के चलते अब तक करीब 7 लाख 72 हजार रुपये का बकाया हो चुका है। अगर यह राशि जल्द नहीं चुकाई जाती, तो अधिवक्ता की सजा और बढ़ाई जा सकती है।
प्रीति राज ने बताया कि दोनों की जान-पहचान 2009 में एक रॉन्ग नंबर के जरिए हुई थी। बातचीत का सिलसिला बढ़ा और 2010 में दोनों ने परिवार की रजामंदी से शादी कर ली। 2012 में बेटी का जन्म हुआ, लेकिन इसके बाद रिश्तों में दरार आनी शुरू हो गई। उन्होंने कहा कि पति के अन्य महिलाओं से संबंध की बातें सामने आईं, जिससे दूरी बढ़ती गई।
प्रीति ने बताया कि 2013 में उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और 2016 में फैसला उनके पक्ष में आया। लेकिन आठ साल बीत जाने के बावजूद न तो उन्हें और न ही उनकी बेटी को कोई आर्थिक सहायता मिली।
उन्होंने यह भी बताया कि मनीष कुमार मूल रूप से सीतामढ़ी जिले के डुमरा स्थित कैलाशपुरी मोहल्ला, वार्ड 39 के निवासी हैं। शादी के बाद दोनों कुछ साल साथ रहे, फिर अलग हो गए। हालांकि, वे 2022 तक कभी-कभी बेटी से मिलने आते थे, लेकिन कोई आर्थिक सहयोग नहीं दिया।
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