SAMASTIPUR : समस्तीपुर जिले में स्वच्छ पानी के नाम पर पानी का कारोबार प्रतिदिन बढ़ रहा है। दस लाख रुपये के पानी का कारोबार सिर्फ शहर में होता है। शहर से गांव तक जिले में यह कारोबार फैला हुआ है। इसकी आड़ में गुणवत्तापूर्ण पानी की बजाय अमानक पानी का धड़ल्ले से व्यवसाय किया जा रहा है। लेकिन उस पर प्रशासन की नजर नहीं है। अब तक किसी के यहां प्रशासन ने जांच की हो इसका उदाहरण नहीं है।
विदित हो कि शुद्ध पानी की चुनौतियों के बीच बोतलबंद और केन का पानी आज लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन गया है। गर्मी के दिनों में इसकी खपत और बढ़ जाती है। व्यापारियों के मुताबिक जिले में प्रतिदिन लगभग 40 हजार पानी के जार की खपत होती है। 20 रुपये प्रति जार की दर से यदि इसका आकलन किया जाए तो राशि दस लाख के आस पास पहुंचती है।
आज लोगों की दुकानों सहित घरों तक में शुद्ध पानी के लिए पानी की केन का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक प्लांट व्यापारियों के द्वारा लगाए गए हैं। अकेले शहर में ही जहां 30-35 पानी के प्लांट है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में भी इससे ज्यादा ही पानी के प्लांट लगभग संचालित हो रहे हैं। बावजूद लाइसेंस के नाम पर बस एक दो ने ही लाइसेंस ले रखा है।
इसमें भी जो नियम है उसका पालन नहीं हो रहा है शादी समारोह में भी आजकल पानी की छोटी बोतल और केन का इस्तेमाल होता है। वहीं दूसरी तरफ व्यापारियों के अनुसार शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में बोतलबंद पानी प्रतिदिन पांच लाख रुपये से अधिक का बिकता है। इस तरह कुल 15 लाख से अधिक के पानी का कारोबार प्रतिदिन जिले में होता है।
बगैर लाइसेंस के पानी का कारोबार नहीं किया जा सकता है। इसके कई मानक तय कर रखे गये हैं। अगर ऐसा नहीं होता है तो इसकी जांच अनुमंडल स्तर पर कराई जाएगी। इसको लेकर सभी एसडीओ को अपने अपने क्षेत्र में इसकी जांच करनी है।
-योगेन्द्र सिंह, डीएम