समाज के कमजोर तबकों पर होने वाले अपराध न केवल व्यक्ति बल्कि उनके पूरे परिवार को अंधकार में धकेल देते हैं। समस्तीपुर में एक दिव्यांग ई-रिक्शा चालक की बीच सड़क पर गोली मारकर हत्या ने ऐसे ही एक परिवार की जिंदगी को तहस-नहस कर दिया। इस दर्दनाक घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं—क्या इन पीड़ित परिवारों की मदद के लिए कोई आगे आएगा?
समस्तीपुर की इस घटना में अपराधियों का असली निशाना एक प्रॉपर्टी डीलर था, जो ई-रिक्शा में सवार था। गोलीबारी में ई-रिक्शा चालक गणेश को भी गोली लग गई, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। गणेश अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला था।
चार साल पहले हुए एक हादसे में गणेश ने अपने हाथ और पैर की क्षमता खो दी थी। बावजूद इसके, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अपने परिवार की जरूरतें पूरी करने के लिए उन्होंने लोन लेकर दो लाख रुपये की ई-रिक्शा खरीदी। दुर्भाग्यवश, अब तक केवल चार किस्तें ही चुकाई जा सकी थीं।
गणेश की पत्नी चांदनी कुमारी खुद भी दिव्यांग हैं और लाठी के सहारे चलती हैं। परिवार में दो छोटे बच्चे हैं—एक 10 साल का और दूसरा 6 साल का। बूढ़ी मां, जो पहले ही अपने बेटे पर निर्भर थीं, अब अपने पोते-पोतियों और बहू की चिंता में डूबी हुई हैं।
चांदनी ने बताया, “पहले खबर आई थी कि उनके पति का एक्सीडेंट हुआ है। लेकिन जब सदर अस्पताल पहुंची, तो पता चला कि उन्हें गोली मार दी गई है।”
अब इस परिवार के सामने कई सवाल खड़े हैं—कौन ई-रिक्शा की बकाया किस्त भरेगा? बच्चों की पढ़ाई और पालन-पोषण कैसे होगा?
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