Samastipur News : डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के संचार केंद्र स्थित पंचतंत्र सभागार में मशरूम उत्पादन एवं प्रसंस्करण के विषय पर मशरूम उत्पादक किसानों को मशरूम उत्पादक प्रशिक्षक बनाने के लिए 15 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ। इसका उद्घाटन विवि के कुलपति डॉ. पुण्यव्रत सुविमलेंदु पांडेय सहित अन्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर कुलपति ने कहा कि मशरूम के क्षेत्र में बेहतर बाजार से जुड़ने के लिए मशरूम उत्पादकों को ऑनलाइन मार्केटिंग करने की जरूरत है। उन्होंने इस प्रशिक्षण में ऑनलाइन मार्केटिंग की दिशा में विशेष रूप ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि ऑनलाइन मार्केटिंग के दौरान विभिन्न उत्पादों के सैंपल को रखने की आवश्यकता होती है। शुद्ध रूप से तैयार किए गए सैंपल के पैकेट पर एक अच्छे तरह से लिखे गए स्टीकर को सुरक्षित ढंग से लगाने से भी बाजार में उत्पादों को समुचित स्थान मिलता है। उन्होंने कहा की विवि परिसर में आने वाले समय में एक मशरूम मॉल खोलने का प्रयास चल रहा है। उन्होंने कहा कि मशरूम उत्पादकों को अपनी कार्य कुशलता के बारे में विस्तार से लिखने और बताने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा की प्रतिभागियों के चेहरे की चमक देख यह साबित हो रहा है कि मशरूम उत्पादन से उन्हें बेहतर आय प्राप्त होना शुरू हो गया है। मशरूम उत्पादन और इसका कारोबार समाज के निचले पायदान पर खड़े व्यक्तियों को भी एक व्यवस्थित पहचान व आय दिलाने में काफी कारगर रहा है। उन्होंने कहा कि उड़ीसा के अलावे अन्य प्रदेशों में भी तीव्र गति से मशरूम उत्पादन बढ़ रहा है। इस गति को और बढ़ाने की जरूरत है। मशरूम से फिलहाल 52 तरह के उत्पादों का निर्माण संभव हो पाया है। उन्होंने कहा की प्रशिक्षण में भाग ले रहे प्रतिभागियों को एक बेहतर मास्टर ट्रेनर बनाकर उनसे ग्रामीण परिवेश में जीवन यापन कर रहे अन्य किसानों को भी प्रशिक्षित कराकर उन्हें मशरूम व्यवसाय के मुहिम से जोड़ा जा सकता है।
प्रसार शिक्षा निदेशक डा. मयंक राय ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि एडवांस सेंटर ऑफ रिसर्च संस्थान के तत्वावधान में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए आयोजित इस प्रशिक्षण सत्र में सैद्धांतिक वर्ग से ज्यादा प्रायोगिक वर्ग संचालित किए जाएंगे। मशरूम को बढ़ावा देने के लिए प्रसंस्करण एवं वैल्यू एडिशन करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से कहा की वे न्यूट्रीशनल सिक्यूरिटी को आगे बढ़ाते हुए क्षेत्र के अन्य किसानों को भी उड़ीसा में ही प्रशिक्षित करने का काम करें। मशरूम विशेषज्ञ डा. दयाराम ने कहा कि मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में दर्जनों तकनीकी जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि इससे पहले ओड़िसा में 28 फरवरी 2024 को मशरूम उत्पादन करने के लिए प्रशिक्षण की शुरुआत की गई थी । जिसका परिणाम काफी बेहतर प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि करीब करीब प्रत्येक प्रशिक्षण प्राप्त मशरूम उत्पादक आज के समय में औसतन 4 से 5 हजार रुपए प्रतिदिन शुद्ध मुनाफा कमा रहे है। उसी मशरूम उत्पादकों में से चयनित उत्पादकों को मशरूम उत्पादक प्रशिक्षक बनाने की दिशा में यह पहल किया जा रहा है। संचालन मशरूम वैज्ञानिक डॉ. आरपी प्रसाद ने किया। जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्रसार शिक्षा उप निदेशक प्रशिक्षण डा. विनीता सतपथी ने की। मौके पर डॉ. सुधानंदनी, डा. मुकेश कुमार थे।
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