Mushroom Ki Kheti : बिहार के समस्तीपुर की महिलाएं अपनी मेहनत व हौंसले के दम पर घर पर ही मशरुम की खेती करके लाखों रुपये कमा रही हैं व ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रही हैं.
Mushroom Ki Kheti : बिहार के समस्तीपुर में महिलाएं मशरुम की खेती (Mushroom Farming) करके लाखों रुपये का मुनाफा कमा रही हैं। समस्तीपुर स्थित डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में एडवांस सेंटर आफ मशरूम रिसर्च के परियोजना निदेशक और बिहार के मशरूम मैन कहे जाने वाले प्रो.डॉक्टर दयाराम समस्तीपुर के गरीबों की जिंदगी बदलने के मकसद से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को मशरुम की खेती की मुफ्त में ट्रेनिंग और मशरूम के बीज देकर कामयाबी की नई इबारत लिख रहे हैं। खास बात यह है कि ये सभी परिवार किसी खेत या कमरे में मशरूम की खेती नहीं करते, बल्कि जिस झोपड़ीनुमा घर में वे रहते हैं उसी के अंदर मशरूम की खेती कर रहे हैं। इसके लिए महिलाओं को मशरुम की खेती (Mushroom Cultivation) से संबधित रख- रखाव और तापमान की जानकारी दी जाती है।
बिहार में मशरुम की खेती पूरे साल होती है। मशरुम वैज्ञानिक डाक्टर दयाराम नें हर मौसम में उगने वाले मशरूम की बीज तैयार किया है। वहीं बिहार सरकार खेती करने वाले किसानों को 50 फीसदी सब्सिडी दे रही है.
आपको बता दें कि ये किसान घर पर ही मशरुम की खेती (Mushroom ki kheti) कर महीने में 10 से 20 बैग मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं और उन्हें बाजार में बेंच भी रहे हैं। इससे एक परिवार को महीने में 4 से 5 हजार रुपये की कमाई आसानी से हो रही है।
ये परिवार मशरूम की ओएस्टर वैरायटी की खेती कर रहे हैं जिसके बारे में इन किसान परिवारों को प्रशिक्षण भी दिया गया हैं। मशरुम की इस किस्म की बढ़िया उपज के लिए 25 से 40 डिग्री तक के तापमान की जरुरत होती है। 20 से 25 दिन के बाद ही इस किस्म के मशरूम की फली दिखने लगती है और 40 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके एक बैग में से लगभग तीन किलो तक मशरूम का उत्पादन प्राप्त होता हैं।
आज समस्तीपुर के किसान सफलतापूर्वक मशरूम की खेती कर रहे हैं। ऐसे ही एक किसान शंकर बताते हैं कि उन्होंने मशरूम की खेती के बारे में कभी सोचा भी नहीं था। लेकिन मशरुम की खेती की ट्रेनिंग लेने के बाद अब तो घर की महिलाएं भी घर में मशरूम उगा रही हैं। उन्होंने बताया कि अब उनका मोहल्ला मशरूम वाला मोहल्ला के नाम से शहर में मशहूर हो गया है। अब इस मोहल्ले में दर्जनों किसान परिवार मशरूम की खेती कर रहे हैं।
वहीं हेमलता ने बताया कि उन्होंने बटन मशरूम का उत्पादन शुरू करने से पहले उन्होंने इसका प्रशिक्षण पूसा केंद्र में लिया था। जिसके बाद मशरूम की खेती करने के लिए धान के पुआल से 20 फिट लम्बा और 20 फिट चौड़ी एक झोपड़ी नुमा घर बनाया। इस घर में न तो धूप पहुंच सकती थी और न ही हवा। जिससे मशरूम का अच्छा उत्पादन हो सके। फिर मशरुम की खेती करने के लिए मिट्टी तैयार की। घर के अंदर बांस का उपयोग करके चार बेड 3 खाने के तैयार किए। इसके बाद उन्होंने मशरुम की खेती की जिससे आज वह लाखों रुपये महीना तक कमा रही हैं।
किसान कहां से करें मशरूम की खेती का प्रशिक्षण : लेने के लिए कहां से करें आवेदन :
समस्तीपुर के डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा स्थित प्रशिक्षण संस्थान इसकी खेती का प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। इसके लिए समय – समय पर प्रशिक्षण संस्थान की ओर से ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाया जाता है। इच्छुक किसान इस प्रशिक्षण संस्थान से जुड़कर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। किसान अपनी इच्छा के अनुसार संबंधित विषयों पर प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस प्रशिक्षण के लिए विश्वविद्यालय द्वारा 600 रुपए फीस रखी गई है। जो किसानों को बैंक ड्राफ़्ट के माध्यम से जमा करानी होगी। एक शिविर में कुल 40 आवेदकों को यह प्रशिक्षण दिया जाता है।
प्रशिक्षण लेने के लिए यहां करें आवेदन :
इसके अलावा जो इच्छुक किसान मशरूम से जुड़े इन विषयों पर प्रशिक्षण लेना चाहते हैं। वह किसान डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के पोर्टल से आवेदन कर सकते हैं। प्रोजेक्ट डायरेक्टर मशरूम डॉ. दयाराम से उनके मेल आई-डी raudayaram@gmail.com पर मेल कर सकते हैं। इसके अलावा किसान मशरूम प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए https://www.rpcau.ac.in/mushroom-production-technology /#1524548998302-1ec56996-4a8e पर दी गई लिंक से आवेदन कर सकते हैं।