समस्तीपुर जिले के मोहिउद्दीननगर थाना क्षेत्र के हेमनपुर गांव में हुए दोहरे हत्याकांड ने न केवल समाज के बदलते स्वरूप को उजागर किया, बल्कि ग्रामीण समाज के घटते सामाजिक मूल्यों और आपसी सहयोग की कमी को भी सामने रखा। यह घटना समाज को आत्मचिंतन करने पर मजबूर करती है—क्या अब गांवों की परंपरागत एकता और आपसी समाधान की संस्कृति पूरी तरह खत्म हो चुकी है? हेमनपुर गांव में हुई इस दुखद घटना ने समाज के वर्तमान स्वरूप को कटघरे में खड़ा कर दिया है। एक समय था जब गांव के विवादों का समाधान बुजुर्ग और मान्यजन अपने स्तर पर कर देते थे। कोर्ट-कचहरी और पुलिस की आवश्यकता बहुत कम पड़ती थी। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। आपसी संवाद की कमी और सामाजिक दूरी ने अपराध और हिंसा को जन्म दिया है।
घटना के बाद पुलिस अधीक्षक अशोक मिश्र के निर्देश पर एसआईटी का गठन किया गया है। डीएसपी पटोरी बीके मेधावी की अगुवाई में टीम लगातार संदिग्धों की तलाश में छापेमारी कर रही है। गांव में पुलिस कैंप कर रही है और हर गतिविधि पर नजर रख रही है।
इस हत्याकांड ने स्थानीय नेताओं की संवेदनहीनता को भी उजागर किया है। आमतौर पर ऐसे मामलों में नेता सांत्वना देने या राजनीतिक लाभ के लिए सक्रिय रहते हैं, लेकिन इस बार किसी भी नेता ने अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई। शायद उन्हें डर था कि किसी एक पक्ष के साथ खड़े होने से उनका राजनीतिक समीकरण बिगड़ सकता है।
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि अब ग्रामीण समाज को पुलिस और कोर्ट-कचहरी पर निर्भर रहने की बजाय अपनी पुरानी परंपराओं को फिर से जीवित करना होगा। विवादों को सुलझाने के लिए सामूहिक प्रयास और संवाद को बढ़ावा देना होगा।
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