SAMASTIPUR NEWS : समस्तीपुर में यहां हिंदू–मुस्लिम एक साथ करते है छठ महापर्व.

समस्तीपुर जिले (Samastipur) के सरायरंजन प्रखंड के बथुआ बुजुर्ग गांव में हिंदुओं के साथ बहुत से मुस्लिम परिवार भी छठ व्रत करते हैं। एक ही घाट पर अर्घ्य देने के साथ हर वह परंपरा निभाते हैं, जो हिंदू इस त्योहार में करते हैं। हिंदुओं के इस व्रत के प्रति उनकी अगाध श्रद्धा है।

करीब आठ हजार आबादी वाले बथुआ बुजुर्ग में 2000 मुस्लिम रहते हैं। इनमें 15 परिवार छठ करते हैं। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि करीब सौ वर्ष पूर्व यहां के मुसलमानों ने छठ व्रत करना शुरू किया था। उस समय महज दो–तीन मुस्लिम परिवार ही छठ करते थे।

डीहवारणी पोखर पर बने छठ घाट पर हिंदू-मुस्लिम अर्घ्य देते हैं : 

बथुआ बुजुर्ग के डीहवारणी पोखर पर बने छठ घाट पर हिंदू-मुस्लिम अर्घ्य देते हैं। यहां हिंदुओं में ततमा जाति तो मुस्लिम में धुनिया बुनकर हैं। दोनों का पेशा एक जैसा होने के कारण इनमें निकटता रही। इस तरह मुस्लिम छठ की ओर आकृष्ट हुए। कुछ मुस्लिम परिवारों की मन्नत पूरी हुई तो छठ करने लगे।

नातिन की बीमारी ठीक हुई तो बढ़ी आस्था :

छठ करने वाली खुदैया खातून, अजमत बानो का कहना है कि आस्था और श्रद्धा ने इस पर्व को करने के लिए प्रेरित किया। छठ की तैयारी में जुटीं फौजिया खातून कहती हैं कि 17 वर्ष पहले उनकी नातिन गंभीर रूप से बीमार हो गई थी।

कई जगह इलाज कराया, लेकिन फायदा नहीं हुआ। इस पर कुछ हिंदू महिलाओं ने छठ व्रत करने की सलाह दी। व्रत करने के बाद उनकी नातिन ठीक हो गई। इससे उनकी आस्था प्रबल हुई। पूर्व पंचायत समिति सदस्य फूल मोहम्मद का कहना है कि छठ के दौरान सामाजिक समरसता देखते बनती है।

बथुआ बुजुर्ग गांव के ही प्रो. अमरेंद्र कुमार कहते हैं कि सूरज ऊर्जा के अक्षय स्रोत और प्रत्यक्ष देव हैं। इसके बिना जीवन की कल्पना बेमानी है। इसी तथ्य में विश्वास करते हुए दोनों समुदाय के लोग एक साथ छठ व्रत करते आ रहे हैं।