महाराष्ट्र के ठाणे में लिफ्ट हादसे के शिकार हुए समस्तीपुर (Samastipur) के विभूतिपुर प्रखंड के किशनपुर टभका पंचायत के बरैठा टोले के चार मजदूरों का शव आज बुधवार (13 सितंबर) की सुबह गांव पहुंचा। मजदूरों के शव के गांव पहुंचते ही मृतकों के परिवार में कोहराम मच गया। इस दौरान पीड़ित परिवार के कई महिलाएं बेहोश हो गयी, जिन्हे गांव की महिलाएं संभालते दिखीं। अंतिम दर्शन के लिए गांव के लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।
बता दें कि महाराष्ट्र के ठाणे के बालकुम इलाके में स्थित एक बहुमंजिला इमारत की लिफ्ट रविवार (10 सितंबर) को गिर गई थी। इस दर्दनाक हादसे में सात मजदूरों की मौत हो गई, जिसमें से चार समस्तीपुर (Samastipur) जिला के रहने वाले थे। मृतकों में विभूतिपुर थाना क्षेत्र के किशनपुर टभका के बरैठा टोला वार्ड संख्या नौ निवासी होरिल दास के पुत्र रुपेश कुमार (25 वर्ष), योगेंद्र दास के पुत्र कारी दास (45 वर्ष), वार्ड संख्या दस निवासी उमेश दास के पुत्र सुनील कुमार दास (22 वर्ष) और धनपत दास के पुत्र मंजेश चौपाल (35 वर्ष) शामिल हैं।

मुआवजा मिलने के बाद शव लेकर हुए रवाना :
बताया गया है कि कंपनी से मुआवजा राशि दिलाने के लिए मजदूर संगठन के नेता वार्ता कर रहे थे। जिस पर देर शाम कंपनी ने फैसला लिया। मजदूरों के खाते में दस-दस लाख की राशि कंपनी ने भेजी, उसके बाद ही शव लेकर एम्बुलेंस ठाणे से चला। जो आज सुबह समस्तीपुर पहुंचा।
चार दिनों से घरों में नहीं जले चूल्हे :
मजदूरों की मौत से किशनपुर टभका के बरैठा टोले में बुधवार को भी लोग पूरी तरह शोक में डूबे रहे। इससे किसी को अन्न जल नसीब नहीं हुआ। मुहल्ले में आज चौथे दिन किसी घर में चूल्हा नहीं जला। पुरे इलाके अभी तक मातम पसरा है। लोगों ने बताया कि शवों के दाह संस्कार के बाद ही गांव में किसी के घर चूल्हा जलेगा।
मुखिया व जिला पार्षद कर रहे गांव में कैम्प :
एक साथ चार मजदूरों की मौत की घटना को लेकर वैसे तो टोले में लोगों का आना – जाना जारी है।स्थानीय मुखिया विजय कुमार चौधरी और जिला पार्षद अमन कुमार गांव में ही लगातार कैंप किये हुए हैं। वहीं भाजपा नेता अरविन्द कुमार कुशवाहा, ग्रामीण रजनीश कुमार, राममिलन चौधरी, प्रियरंजन ठाकुर, अशोक कुमार, विक्रम उर्फ अमित कुमार मिश्र, रवीन्द्र पासवान, ढांढ़स दे रहे हैं।
मुंबई लिफ्ट हादसे न छीन चार परिवारों की खुशी :
मुंबई के ठाणे के बालकुम इलाके में बिहार के समस्तीपुर निवासी चार मजदूरों की मौत हो जाने से चार परिवारों का सपना चकनाचूर हो गया। चार सितंबर को विभूतिपुर प्रखंड के बरेठा टभका गांव के रहने वाले चार दोस्त घर की आर्थिक स्थिति सुधारने का सपना लिए मुंबई महानगरी पहुंचे थे। लेकिन उन्हें कहां पता था कि एक सप्ताह बाद मुंबई में उनका सपना जमींदोज होने वाला है। गांव में मंगलवार को भी चहुंओर चीख पुकार मची है।
ग्रामीणों ने बताया कि कारी दास और मंजेश बाहर ही रहकर मजदूरी करते थे। वह अक्सर गांव आते-जाते थे। जबकि घर के हालात ठीक नहीं होने की वजह से सुनील और रूपेश पहली बार बाहर कमाने गए थे। कुछ दिन पहले ही कारी और मंजेश गांव आए थे। चार सितंबर को कमाने के लिए चारों एक साथ ही महाराष्ट्र गए थे।