Samastipur News : समस्तीपुर नगर निगम नए क्षेत्रों में निगम द्वारा टैक्स की वसूली की जा रही है। आलम यह है कि टैक्स नगर निगम के गठन के समय यानि 2021 से लिया जा रहा जा रहा है। जबकि नगर निगम में नए क्षेत्र के लोग अभी तक शहरी निकाय से मिलने वाली सुविधाओं से वंचित हैं। इन क्षेत्रों में नगर निगम के द्वारा एक भी कार्य नहीं किया है। इन क्षेत्रों में अभी तक सफाई और कूड़ेदान तक की सुविधा भी मयस्सर नहीं हो पाई है।
इधर नगर निगम द्वारा होल्डिंग टैक्स मांगने को लेकर समस्तीपुर नगर निगम (एसएमसी) में शामिल नए क्षेत्र के निवासी बड़े पैमाने पर आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। इसको लेकर नगर निगम में शामिल किए गए 16 पंचायतों के वार्ड पार्षदों ने एक संघर्ष समिति बनायीं है, जिसके बैनर तले जनता पर टैक्स का बोझ डालने के विरोध में आंदोलन किया जायेगा।
पार्षद संघर्ष समिति के संयोजक शिव शम्भू प्रसाद ने बताया कि समस्तीपुर नगर निगम में शामिल किए गए ग्रामीण परिवेश के 16 पंचायतों के तमाम इलाके निगम के गठन के एक वर्ष बाद भी शहरी क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। इन क्षेत्रों में अभी भी लोग पेयजल सहित सड़क, बिजली, स्ट्रीट लाइट, जलनिकासी सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं का आभाव है। जलजमाव व गंदगी के कारण लोग नारकीय जीवन जी रहे हैं। सुविधा के नाम पर नगर निगम की उपलब्धियां शून्य है। इसलिए इन क्षेत्रों के निवासियों से होल्डिंग टैक्स मांगने का नगर निगम को अभी कोई अधिकार नहीं है।

बता दें कि करीब ढाई साल पहले समस्तीपुर नगर परिषद में आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों को मर्ज कर नगर निगम बनाया गया था, ताकि इन्हें शहरी निकाय में मिलने वाली तमाम सुविधाएं मिल सकें। लेकिन नगर निगम के नए क्षेत्रों को शहरी निकाय वाली सुविधाएं अब तक मिलती नजर नहीं आ रही है। इन इलाकों के सड़को पर स्ट्रीट लाइट, सफाई और कूड़ेदान की सुविधा तक मयस्सर नहीं है। जबकि इसके लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 का वार्षिक बजट में 100 करोड़ से अधिक का प्रपोजल रखा गया है, लेकिन अभी तक बजट नहीं मिला है। जिस कारण नए क्षेत्रों में विकास का काम शुरू नहीं हुआ है और वह कब शुरू होगी ये भी सवाल ही बना हुआ है।
शहर में समस्याओं से लोग परेशान :
नगर निगम क्षेत्र के नागरिक, गंदगी, प्रदूषण व जलजमाव की बड़ी समस्या से जूझ रहे हैं। जबकि केवल शहर की सफाई पर नगर निगम करीब एक करोड़ रुपये हर माह खर्च कर रहा है। फिर भी आम नागरिक सफाई व्यवस्था से संतुष्ट नहीं है। शहर के अंदर ही कई खाली जमीन कूड़े के मैदान में तब्दील हो चुके हैं। इन जगहों से कूड़े नहीं उठाए जाते हैं। घनी आबादी के बीच स्थित इन मैदानों में कूडा रहने से पूरा इलाका प्रदूषित रहता है। वहीं हर बरसात में नारकीय हालत से लोगों को जूझना पड़ता है। जलजमाव तो सबसे बड़ी समस्या है। जिस पर पूरे शहर के इलाकों का गहन अध्ययन व लोगों से संवाद जरुरी है। हर बरसात में शहर में जल जमाव के कारण लोगों को काफी मुसीबत झेलना पड़ता है।