घायल को डीएमसीएच ले जाने के बदले अस्पताल में छोड़ फरार हुए परिजनमानवता शर्मसार : पांच दिनों से सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड कराह रहा 45 वर्षीय कमलेश, वाहन की व्यवस्था नाम पर अस्पताल से खिसक गए परिजन
एक कहावत चरितार्थ है, जब समय बुरा होता है तो परछाईं भी साथ छोड़ जाती है। यह कहावत सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में पांच दिनांे से परिजन का इंतजार कर रहे कमलेश कुमार (45) पर सटीक बैठती है। विभिन्न बीमारियों से ग्रस्ति कमलेश को गत 10 दिसंबर को परिजनों से सदर अस्पताल में भर्ती कराया था। कमलेश की स्थिति गंभीर थी। ऑन ड्यूटी डॉक्टर ने उसे डीएमसीएच रेफर कर दिया। जिसके बाद उसके साथ आये परिजन वाहन की व्यवस्था करने के नाम पर अस्पताल से खिसक गए। तब से कमलेश परिजन के इंतजार से मरणासन्न स्थिति में पहुंच गया है। बीमारी के कारण काफी कमजाेर हो चुका कमलेश कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है। उचित देखरेख के अभाव में उसके शरीर से अब बदबू आने लगी है। स्वास्थ्य प्रशासन ने मामले की जानकारी नगर पुलिस को दी है। अस्पताल उपाधीक्षक डॉ गिरीश कुमार ने बताया कि अस्पताल के कर्मी यथा संभव उपचार में लगे हैं। परिजन आते तो उसे बेहतर उपचार के लिए बड़ा अस्पताल ले जाते।
शरीर में सूजन व दर्द की शिकायत के बाद बेहोशी की स्थिति में कमलेश को कराया गया था भर्ती
10 दिसंबर को दिन के करीब 11.38 बजे संजय साह नामक व्यक्ति कमलेश को लेकर अस्पताल पहुंचा था। प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टर ने कमलेश को डीएमसीएच दरभंगा रेफर कर दिया। संजय के साथ दो-तीन और लोग भी थे। अस्पताल के कर्मियों ने बताया कि कमलेश के साथ आने वाले लोगों ने कहा कि दरभंगा ले जाने के लिए वाहन लेकर आते हैं। यह कह कर सभी अस्पताल के इमरजेंसी से निकल गए। वह आज तक नहीं लौटे हैं। अस्पताल में अंकित कराया गया मोबाइल नंबर भी गलत बताया जा रहा है। फोन उठाने वाला अपने को झारखंड से बोलने की बात करता है। मरीज की उचित देख -रेख नहीं हो पा रहा है। बेड पर गंदगी फैला हुआ है। जिससे बदबू आ रहा है। फलस्वरूप अन्य मरीज भी वार्ड से बाहर बरामदे पर रहने को विवश हैं।
अस्पताल प्रशासन की सूचना पर चकमहेंसी थाने को सूचना दी गई है। ताकि परिजन आ सके। -अरुण कुमार राय, नगर थानाध्यक्ष
परिजनों के आने तक यथा संभव स्वास्थ्य कर्मी मरीज का देखरेख कर रहे हैं। मरीज को सेवा की जरूरत । -डॉ गिरीश कुमार, डीएस, सदर अस्पताल
सदर अस्पताल में पांच दिनों से परिजन के इंतजार में मरीज।
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