Samastipur News : समस्तीपुर जिले में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बनी हुई है। सरकारी और निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर सीमित हैं, वहीं स्वरोजगार के समुचित और सुलभ साधन भी उपलब्ध नहीं हैं। बेरोजगार छात्रों ने बताया कि जिले में हर साल करीब एक लाख छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन इसके अनुपात में रोजगार के अवसर काफी कम हैं। ऐसे में बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है।
सिर्फ चुनाव के समय आती है भर्तियां : जानकारी के अनुसार जिला नियोजन कार्यालय में हर साल 40 हजार से अधिक बेरोजगार युवा निबंधन कराते हैं, लेकिन मात्र 2 हजार युवाओं को ही रोजगार मिल पाता है। रोजगार को लेकर चिंतित इन अभ्यर्थियों ने अपनी समस्याओं पर चर्चा करते हुए बताया कि सरकार चुनाव आते ही विभागों में भर्तियां जारी करती है। चुनाव खत्म होते ही इसे रोक दिया जाता है। ऊपर से एक वैकेंसी फॉर्म भरने में एक से दो हजार रुपये खर्च हो जाते हैं। इसके लिए भी इधर-उधर से कर्ज लेना पड़ता है। उनकी मांग है कि सरकार भर्ती फॉर्म निशुल्क करे और हर विभाग के रिक्त पदों पर जल्द से जल्द नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी करे।
आवेदन शुल्क है बड़ी बाधा : सरकारी नौकरियों की संख्या भी सीमित है और जो रिक्तियां निकलती हैं, उनके लिए आवेदन शुल्क इतना अधिक होता है कि गरीब और मध्यम वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए यह बड़ी बाधा है। छात्रों ने बताया कि किसी भी सरकारी नौकरी के लिए आवेदन शुल्क 1000 रुपये या उससे अधिक है। जिसके कारण गरीब और मध्यम वर्ग के युवा आवेदन नहीं कर पाते हैं।
प्रश्नपत्र लीक है बड़ी समस्या : बिहार में सरकारी नौकरियों के लिए रिक्तियां अक्सर चुनाव के समय निकलती हैं। यह परीक्षा भी समय पर नहीं ली जाती और परिणाम आने में काफी समय लग जाता है। वहीं, इन प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्नपत्र लीक और शिक्षा माफियाओं के हस्तक्षेप के कारण योग्य अभ्यर्थी भी चयन से वंचित रह जाते हैं।
समय पर नहीं होती परीक्षा : शिवम कुमार, अभिषेक कुमार, अमन कुमार और सुमन कुमार ने कहा कि लोन लेकर फॉर्म भरने के बावजूद परीक्षा की तिथि तय नहीं होती है। इससे युवाओं का मनोबल टूटता है। युवाओं का मनोबल बनाए रखने के लिए शिक्षा में पारदर्शिता जरूरी है। पूरे जिले में एक भी अच्छी लाइब्रेरी नहीं है। जहां प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की जा सके। महंगी किताबें और महंगी कोचिंग के कारण परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए लाइब्रेरी नहीं : शहर में एक बेहतर लाइब्रेरी की जरूरत है, जहां प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध हों। युवाओं की बेहतरी के लिए जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक पहल की जरूरत है। युवाओं ने कहा कि सरकारी कॉलेज और स्कूलों में पढ़ाई का स्तर अच्छा नहीं है। इसलिए बेरोजगार युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए सरकारी स्तर पर कोचिंग की व्यवस्था होनी चाहिए। बेहतर माहौल बनने से बेहतर परिणाम भी मिलेंगे।
नहीं मिल रहा सरकारी योजनाओं का लाभ: बिहार सरकार ने युवाओं को आर्थिक सहायता देने के लिए मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना की शुरुआत की, लेकिन यह योजना बेरोजगार छात्रों तक प्रभावी रूप से नहीं पहुंच पा रही है। ऐसे में बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है। एक छात्र का कहना है कि हालांकि बिहार सरकार रोजगार मेले का आयोजन कर युवाओं को स्वरोजगार के प्रति प्रेरित करती है, लेकिन इसमें भी काफी भीड़ होती है और जिसके कारण सभी को नौकरी नहीं मिल पाती।
(Input : livehindusatan)
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