पटना हाईकोर्ट ने बिहार के सरकारी और निजी लॉ कॉलेजों की गंभीर स्थिति पर संज्ञान लेते हुए राज्य के शिक्षा तंत्र में सुधार की दिशा में कदम उठाया है। चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने 25 सितंबर को इस मामले की सुनवाई करते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को निर्देश दिया कि लॉ कॉलेजों की लंबित निरीक्षण रिपोर्ट को तुरंत प्रस्तुत किया जाए।
पटना हाईकोर्ट ने कुणाल कौशल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बीसीआई से स्पष्ट जवाब मांगा कि राज्य के लॉ कॉलेजों में मानकों का कितना पालन हो रहा है। कोर्ट ने लॉ कॉलेजों के शिक्षकों और प्रिंसिपलों की शैक्षणिक योग्यता पर भी सवाल उठाए। यह जानकारी दी गई कि कई लॉ कॉलेज, बीसीआई द्वारा निर्धारित मापदंडों के बिना ही चल रहे हैं, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल खड़े होते हैं।
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को सूचित किया कि बहुत सारे लॉ कॉलेज, बीसीआई द्वारा निर्धारित शैक्षिक मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं। इन कॉलेजों में पीएचडी की योग्यता वाले शिक्षक नहीं हैं, जो कि लॉ की उच्च शिक्षा के लिए आवश्यक है। यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि शिक्षण संस्थानों में गुणवत्ता और मानक से समझौता किया जा रहा है।
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