बिहार में पैक्स (प्राथमिक कृषि साख सोसायटी) चुनाव के लिए तैयारियां जोरों पर हैं। चुनाव के लिए मतदाता सूची को अंतिम रूप दिया जा रहा है, लेकिन सहकारिता विभाग के सामने बड़ी चुनौती यह है कि सदस्यता के इच्छुक आवेदकों की सुनवाई जल्द से जल्द पूरी की जाए। समय सीमा कम होने के कारण यह कार्य विभाग के लिए अत्यंत चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है।
पैक्स चुनाव के लिए सदस्य बनने की प्रक्रिया इस बार ऑनलाइन माध्यम से की जा रही है, जिससे कई नए आवेदकों की संख्या में भारी वृद्धि देखी गई है। चुनाव में हिस्सा लेने और वोट डालने के लिए पैक्स की सदस्यता अनिवार्य है, लेकिन आवेदनों की सुनवाई समय पर न हो पाने के कारण हजारों लोग चुनावी प्रक्रिया से वंचित हो सकते हैं। सहकारिता विभाग के आंकड़ों के अनुसार, राज्य भर में करीब 70 हजार से ज्यादा आवेदन लंबित हैं, जिनमें से 27 हजार मामलों पर सुनवाई हो रही है।
प्रक्रिया के तहत, अगर किसी आवेदक का आवेदन पैक्स द्वारा अस्वीकार किया जाता है, तो वह डीसीओ या एआर के पास अपील कर सकता है। लेकिन अपील के निस्तारण में समय की कमी एक बड़ी बाधा बनी हुई है। दोनों पक्षों की बात सुनने और नोटिस पहुंचाने में लगने वाला समय चुनावी तैयारियों को प्रभावित कर सकता है।
सहकारिता मंत्री और सचिव की बैठक में इस मुद्दे पर विशेष चर्चा हुई, जहां विभाग को रोजाना मामलों की सुनवाई कर अधिक से अधिक आवेदनों का निपटारा करने का निर्देश दिया गया है। हालांकि, यह सवाल अब भी बना हुआ है कि इतने बड़े पैमाने पर आवेदनों को समय रहते कैसे सुलझाया जाएगा।
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