बिहार में शराबबंदी के बाद ताड़ी पर भी पूर्णत प्रतिबंध लगा दिया गया। सरकार की ओर से ताजा नीरा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कवायद की गई, लेकिन इसके स्टोर करने की विधि में सुधार नहीं होने से काफी परेशानी हो रही थी। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर ने ताजा नीरा को संरक्षित करने का उपाय ढूंढ़ निकाला। उसे पाउडर में एक विधि से परिवर्तित कर दिया।
अब इस पाउडर का जर्मनी से पेटेंट मिला है। नीरा को पाउडर बनाकर संरक्षित करने की तकनीक बीएयू के डिपार्टमेंट ऑफ फूड साइंस एवं पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नॉलोजी विभाग के डॉ. वसीम सिदद्की ने निकाली है। उन्होंने बताया कि यह तकनीक नीरा उत्पादकों के लिए व्यापार का एक नया रास्ता खोलेगी। साथ ही इस विधि से नीरा को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
इससे पूरे साल नीरा के स्वाद और आनंद को लेने में मदद करेगी। वैज्ञानिक के मुताबिक ताजा नीरा का परिरक्षण अत्यंत कठिन होता है। इस वजह से इस तकनीक में स्प्रे ड्रायर के माध्यम से ताजा नीरा को पाउडर में बदला जाता है। इस विधि में बूंदों को सूखा पाउडर बनाया जाता है।
इस पाउडर को करीब एक वर्ष तक एयर टाइट कंटेनर में संरक्षित रखा जा सकता है। इस पाउडर को नीरा इस्तेमाल करने वाले लोग पानी में घोलकर नीरा का स्वाद ले सकते हैं। पानी में घुलने के बाद इसका फायदा ताजा नीरा के समान ही होता है। इसके आयामों को किसानों की आवश्यकता के अनुसार संशोधित किया जा सकता है।
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