Bihar Land Survey : राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग राज्य में भूमि अभिलेखों को अद्यतन करने के लिए व्यापक सर्वेक्षण कर रहा है। इसमें रैयत का नाम, खाता, खेसरा और रकबा जैसी महत्वपूर्ण जानकारियां शामिल होंगी। साथ ही हवाई एजेंसी द्वारा विशेष सर्वेक्षण मानचित्र तैयार किया जा रहा है, जिसमें खेसरा संख्या और अन्य आवश्यक विवरण दर्ज किए जाएंगे। ऑनलाइन रजिस्टर-2 के माध्यम से जमाबंदी संख्या और जमाबंदीदार का नाम भी इस प्रक्रिया का हिस्सा होगा।
अमीन (राजस्व कर्मचारी) गांवों में जाकर जमीन से जुड़ी विस्तृत जानकारी जुटा रहे हैं। वे यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि वर्तमान दखलदार का नाम, जमाबंदी रैयत का खतियान रैयत से संबंध, जमाबंदीदार और वर्तमान दखलदार के बीच संबंध और जमीन पर दखल का आधार स्पष्ट रूप से दर्ज हो। इस सर्वेक्षण के तहत 14 कॉलम का विवरण तैयार किया जाएगा, जिसमें प्रत्येक खेसरा से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां होंगी।
भूमि स्वामित्व की सही जानकारी दर्ज करने के लिए कई स्रोतों का उपयोग किया जा रहा है:
विभाग का मानना है कि इस समन्वित प्रयास से त्रुटियों की संभावना कम होगी, सर्वेक्षण प्रक्रिया में तेजी आएगी और भूमि विवादों के निपटारे में आसानी होगी।
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने सोमवार को कहा कि नए भूमि अधिकार अभिलेख तैयार करने के लिए सभी उपलब्ध डेटा का उपयोग किया जाएगा। यह एक प्रामाणिक दस्तावेज होगा, जिससे भूमि स्वामित्व को लेकर किसी तरह की शंका नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि भूमि से संबंधित सभी जानकारी अमीन के मोबाइल में डिजिटल रूप से उपलब्ध होगी। इससे उन्हें यह जानने में मदद मिलेगी कि पिछले सर्वेक्षण में भूमि किसके नाम पर थी, उसका क्षेत्रफल क्या था और वर्तमान में उसका बंटवारा कैसे हुआ है।
मंत्री ने यह भी बताया कि भूमि अभिलेख निदेशालय का एनआईसी और आईटी विभाग भूमि की वर्तमान और पिछली प्रकृति में हुए बदलावों की पूरी जानकारी तैयार कर रहा है।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने 17 जनवरी को बंदोबस्त पदाधिकारियों की बैठक में इस सर्वेक्षण के संबंध में विस्तृत निर्देश दिए थे। उन्हीं निर्देशों के आधार पर यह उपयोगी डाटाबेस तैयार किया जा रहा है।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग भूमि सर्वेक्षण को सरल और व्यापक बनाने के लिए नुक्कड़ नाटकों का आयोजन कर रहा है। जनवरी से सभी जिला मुख्यालयों में नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से ग्रामीणों को सर्वेक्षण प्रक्रिया की जानकारी दी जा रही है।
इन नुक्कड़ नाटकों में ढोलक, झाल और हारमोनियम जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्रों का उपयोग किया जा रहा है। ग्रामीणों के सभी सवालों का जवाब सरल भाषा में दिया जा रहा है, ताकि वे पूरी प्रक्रिया को आसानी से समझ सकें।
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