बिहार में भ्रष्टाचार पर नकेल कसते हुए नीतीश सरकार ने भ्रष्ट अंचलाधिकारी (सीओ) और राजस्व पदाधिकारी (आरओ) के खिलाफ कठोर कदम उठाने का फैसला किया है। इस अभियान के तहत, राज्य के भ्रष्ट अधिकारियों की अवैध संपत्तियों की जांच और जब्ती की जाएगी। यह कदम राज्य में पारदर्शिता और स्वच्छ प्रशासन को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।
बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री, डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया। इस आदेश के तहत, अवैध तरीके से अर्जित की गई संपत्तियों की जांच शुरू की जाएगी। इसके लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अलावा, जरूरत पड़ने पर आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की भी मदद ली जाएगी। सुपौल जिले के दो निवर्तमान अंचलाधिकारियों के खिलाफ पहले ही कार्रवाई शुरू कर दी गई है। वर्तमान में भागलपुर जिला के इस्माइलपुर के सीओ प्रिंस राज को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है, जबकि सेवानिवृत्त सीओ प्रभाष नारायण लाल के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने का आदेश दिया गया है। इन दोनों अधिकारियों पर पद का दुरुपयोग कर अवैध कमाई करने का आरोप है।
सुपौल जिले में सरकारी और गैर-मजरूआ आम जमीन के करीब 50 प्लॉटों का गलत तरीके से निजी लोगों को आवंटन करने के आरोप में, इन अधिकारियों पर लाखों रुपये की अवैध कमाई का आरोप है। अब इनकी अवैध संपत्ति की भी जांच की जाएगी। इसके साथ ही, इस मामले में शामिल अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों को भी निलंबित कर सख्त विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया गया है। बिहार में वर्तमान में 90 से अधिक अंचलाधिकारियों के खिलाफ विभिन्न आरोपों में जांच चल रही है। इन अधिकारियों पर मुख्यतः पद के दुरुपयोग के आरोप हैं। जांच में दोषी पाए जाने पर इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और यदि भ्रष्टाचार के प्रमाण मिले तो उनकी संपत्ति भी जब्त की जाएगी।
मंत्री जायसवाल ने बताया कि जून महीने में इस बार किसी भी अधिकारी का तबादला नहीं किया गया है। इसके बजाय, सभी अधिकारियों को उनके प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा और जरूरत पड़ने पर तबादला किया जाएगा।
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