Bag Cluster : बियाडा में चल रहे बैग कलस्टर से जीविका दीदियां हर महीने 90 लाख कमा रही हैं. बैग कलस्टर में 42 जीविका दीदी ने अपना सेंटर बनाया है. हर सेंटर में 22 दीदियां काम कर रही हैं. एक महीने में बैग कलस्टर से करीब डेढ़ लाख बैग का निर्माण होता है, जिसकी आपूर्ति विभिन्न कंपनियों के माध्यम से देश के कई राज्यों और महानगरों के मॉल में की जा रही है. जीविका दीदियां यहां करीब एक सौ वेराइटी का बैग बना रही हैं. एक बैग के निर्माण के एवज में कंपनियां दीदी को 60 रुपए देती हैं. इस लिहाज से हर महीने बैग कलस्टर में 90 लाख आता है.
एक दीदी करीब 9 हजार रुपए हर महीने पाती हैं मेहनाताना
प्रत्येक सेंटरों में काम करने वाली दीदियों की संख्या 904 है. एक दीदी बैग बना कर महीने में करीब नौ हजार का मेहनाताना पाती हैं. यहां की बनी बैग की डिमांड दूसरे राज्यों में अधिक है. इसके लिए कई बड़ी कंपनियां भी बैग की मार्केटिंग के लिए तैयार है. जीविका के गैर कृषि कार्य प्रबंधक के मैनेजर अविनाश कुमार ने बताया कि बैग की डिमांड पहले से ज्यादा बढ़ी है. यहां का बैग गुणवत्ता और डिजाइन में बेहतर है.
बैग कलस्टर ने बनायी कंपनी, दीदियां खुद करेगी मार्केटिंग
बैग के बढ़ते डिमांड को देखते हुए बैग कलस्टर से जुड़ी दीदियों ने तिरहुत जीविका महिला बैग प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड बनायी है. इसके माध्यम से वे खुद मार्केटिंग करेंगी. दो महीने बाद से दीदियां बैग की खुद मार्केटिंग करेगी. इससे दीदियों का मुनाफा बढ़ेगा. बैग कलस्टर से जुड़ी दीदियों ने बताया कि मुजफ्फरपुर के बने बैग की पहचान अब अन्य राज्यों में हो गयी है. यहां से बने बैग की मार्केटिंग में अब किसी तरह की परेशानी नहीं होगी. हमलोग अब अधिक संख्या में बैग निर्माण पर ध्यान दे रहे हैं.
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