Samastipur News : आज भी समस्तीपुर में नाव के सहारे करेह नदी पार कर पढ़ने पहुंचते हैं स्कूल.

समस्तीपुर जिले के सिरसिया गांव में शिक्षा के प्रति बच्चों की लगन और संसाधनों की कमी के बीच संघर्ष का अनूठा उदाहरण देखने को मिलता है। उच्च माध्यमिक विद्यालय की पढ़ाई के लिए यहां के छात्र-छात्राओं को करेह नदी पार करनी पड़ती है। जर्जर नाव और जोखिम भरे सफर के बीच शिक्षा पाने का यह संघर्ष उनकी रोजमर्रा की कहानी बन चुका है।

   

शिक्षा के रास्ते में बाधाएं

सिरसिया गांव में नौवीं और दसवीं कक्षा की पढ़ाई के लिए कोई विद्यालय नहीं है। बच्चों को नाव के सहारे करेह नदी पार कर उच्च माध्यमिक विद्यालय भटवन जाना पड़ता है। इस दौरान छोटी और जर्जर नाव पर सफर करना उनकी मजबूरी बन चुकी है। आठवीं कक्षा तक पढ़ाई गांव में ही होती है, लेकिन उसके बाद की पढ़ाई के लिए बच्चों को जान जोखिम में डालकर रोज नदी पार करनी पड़ती है।

स्टूडेंट्स की मुश्किलें

नौंवी कक्षा की छात्रा नेहा परवीन ने बताया कि निजी नाव से सफर करना न केवल खतरनाक है, बल्कि इसके लिए किराया भी देना पड़ता है। एक बार में सभी छात्रों के बैठने की जगह नहीं होने के कारण उन्हें बारी-बारी से विद्यालय पहुंचना पड़ता है। वहीं, छात्रा आफीन नाज ने कहा कि नाव की समयसारिणी तय नहीं होने के कारण नदी किनारे घंटों इंतजार करना पड़ता है। इस वजह से कई बार उनके अभिभावक उन्हें विद्यालय भेजने से हिचकिचाते हैं।

 

स्थायी समाधान की मांग

सिरसिया गांव के लोगों और क्षेत्रीय नेताओं का मानना है कि करेह नदी पर पुल का निर्माण होना अत्यंत आवश्यक है। इससे न केवल सिरसिया, बल्कि हसनपुर, बिथान, सिंघिया और कुशेश्वरस्थान के कई अन्य गांवों के लोगों को भी आवागमन में सहूलियत मिलेगी। राजद के वरीय नेता रामनारायण मंडल और भाजपा के पूर्व प्रमुख सुभाषचंद्र यादव ने सरकार से उच्च स्तरीय पुल के निर्माण की मांग की है।

स्थानीय समस्या का राष्ट्रीय महत्व

यह समस्या केवल सिरसिया गांव की नहीं है, बल्कि देश के उन सैकड़ों गांवों की कहानी है जहां शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं का अभाव बच्चों के भविष्य को प्रभावित कर रहा है। पुल का निर्माण केवल भौतिक संरचना नहीं, बल्कि सैकड़ों बच्चों के लिए शिक्षा तक आसान पहुंच का माध्यम होगा।

   

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